जब फिल्म के प्रचार के लिए शिल्पा शिरोडकर को कर दिया है था मृत घोषित!
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shilpa shirodkar: अभिनेत्री शिल्पा शिरोडकर, जिन्होंने ‘ग़ोपी किशन’, ‘आँखें’, और ‘बेवफ़ा सनम’ जैसी हिट फ़िल्मों में अपनी पहचान बनाई थी, अचानक 1995 की फिल्म ‘रघुवीर’ के दौरान एक आश्चर्यजनक झटके में फंस गई। शूटिंग से लौटते वक्त उनकी गिरफ़्तारियां सुनते ही 20‑25 चिंतित missed calls उन्हें मिल चुके थे। in short, अफ़वाह ने ऐसा पिंड छोड़ दिया कि उनके परिवार ने उन्हें खोने का डर महसूस किया ।
प्रमोशनल स्टंट बना त्रासदी का अहसास
शिल्पा बताती हैं कि ‘रघुवीर’ के प्रोमो के दौरान ये अफवाह फैलाई गई कि उन्हें गोली मार दी गई है। यह एक ज़बरदस्त प्रचार रणनीति थी जिसे किसी ने उनसे पहले साझा ही नहीं किया । फैक्ट यह है कि मोबाइल फोन नहीं थे, इसलिए सब कुछ अचानक फैला। जब वह होटल लौटीं, तो कॉल्स की लाइन देखते ही उनका दिल दहल गया।
20‑25 मिस्ड कॉल्स, और दिल में घर कर गई दहशत
शिल्पा याद करती हैं, “जब मैं कमरे में लौटी, तो कम से कम 20‑25 मिस्ड कॉल्स थे। मेरे माता‑पिता सोच रहे थे कि मैं….”उन्होंने आगे बताया कि माता‑पिता बस होटल कॉल कर रहे थे क्योंकि उन्हें मोबाइल फोन नहीं था और उनकी परवाह घबराहट में बदल गई।
निर्माता ने दिया खुलासा: “ये केवल प्रोपगेंडा था”
जब उन्होंने निर्माता गुलशन कुमार से पूछा, तो उन्होंने माना कि “हाँ, थोड़ा ज़्यादा हो गया था, पर फिल्म चली तो मैं नाराज़ नहीं”। उस समय PR स्ट्रैटेजी और अनुमति को लेकर कोई सिस्टम नहीं था, इसलिए वे अंतिम व्यक्ति थे जिसे जानकारी मिली।
फिल्म को फायदा मिला
यह अफवाह फिल्म के प्रचार में काम आई रघुवीर ने बॉक्स ऑफिस पर बेहतर प्रदर्शन किया। शिल्पा ने कहा, “मैं नाराज़ नहीं थी, क्योंकि फिल्म का काम हो गया” – लेकिन उनके लिए इसका भावनात्मक असर गहरा था। यह घटना हमें दिखाती है कि अफवाह कितनी जल्दी फैल जाती है, विशेष रूप से जब वह ‘चौंकाने वाली’ होती है। शिल्पा शिरोडकर का अनुभव बताता है कि प्रचार में हद तय करना कितना ज़रूरी है। 90s से लेकर आज, समय बदल गया, लेकिन ज़िम्मेदार पत्रकारिता और व्यक्तिगत भावनाओं का सम्मान ज़रूरी रह गया है।